http://pinkcitygold.blogspot.com/
mail your suggestion, views, comment

जयपुर में पतंग उत्‍सव

ब्‍याज दरों को भी बढाया तेल को भी बढाया फायदा किसे है सोचा किसी ने

हां, हाल ही में बढाये गये तेल के दामों के साथ-साथ कई राज्यों ने कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता भी बढा दिया है क्यों बढाया यह तो पता नहीं लेकिन अगर वास्तव में घाटा हो रहा होता तो कर्मचारियों को बढा हुआ मंहगाई भत्ता नहीं मिलता। ज्ञातव् रहे की तेल के दाम बढाने के साथ ही राज्यों के कर्मचारियों का लगभग 30 प्रतिशत या अधिक तक मंहगाई भत्ता भी बढा दिया गया है कुछ राज्यों अब बढाया जाने वाला है। उधर आरबीआई ने ब्याज दों को बढा दिया है तो कई राज्यों की रोडवेज भी अब किराया बढाने में लगी है। यह बात तो साफ है कि आम आदमी के उपर मंहागई की मार बढती ही जा रही है।
अब बात करें ब्याज दर की तो सबसे ज्यादा मार आम आवाम पर ही पडेगी। क्योंकि आम आदमी की बचत वर्तमान समय में काफी कम है और लोन आदि पर उसे ब्याज ज्यादा चुकाना पड रहा है। जबकि बचत के मामले में हमारे राजनेता, आद्योगिक घराने, देश के नौकरशाह और राजकर्मचारी अधिक हैं और इनही को फायदा पहुंचाने के लिये सरकार ने ऐसा किया है। साफ-साफ नजर रहा है कि कांग्रेस की सरकार जनता से लूट कर चंद कर्मचारियों और राजनेताओं पर पैसा लूटा कर चुनाव जीतना चाहती है। आखीर चुनाव में मुख् भूमिका भी तो राजकर्मचारियों और नौकरशाहों की ही होती है। आम आदमी तो मात्र मतदान ही कर सकता है। बाकी हेराफेरी तो इन्ही राजकर्मचारियों के द्वारा होती है।
हमारा साफ सोच है कि चंद कर्मचारियों और नेताओं नौकरशाहों या कहें आद्योगिक घरानों को जब-जब फायदा पहुंचाया जायेगा तब-तब देश में मंहगाई बढेगी। अगर इन राजनेताओं, कर्मचारियों और नौकरशाहों का वेतन कम कर दिया जाये और बचे हुए पैसे से मंहगाई पर कापू पाया जाये तो पूरे देश का भला हो सकता है। लेकिन ये चंद लोगों को फायदा पहुंचाने की नियता से की गई वृधि पूरे देश में आहाकार मचाने वाली है और यह सोच सरकार की व्यापारी वाली सोच है इससे लगता है कि अब सरकार, सरकार नहीं एक व्यापारी बन गई है। आम अवाम की नहीं अब सरकार चंद लोगों की सोचने लगी है।

तेल कंपनियों को रोज हो रहा ५० करोड़ रुपये का घाटा बताया जा रहा हैं।

ताजा बढ़ोतरी के बाद भी तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर १.२० रुपये प्रति लीटर का नुकसान होना बताया जा रहा है। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की खुदरा पेट्रोलियम कंपनियों को पेट्रोल के दामों में वृद्घि के बावजूद हर दिन करीब ५० करोड़ रुपये का नुकसान होना बताया जा है। उल्लेखनीय है कि तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने गत बुधवार को पेट्रोल के खुदरा मूल्यों में २.९५ रुपये प्रति लीटर की वृद्घि की घोषणा की थी। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने पेट्रोल के खुदरा मूल्यों में २.९५ रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की, वहीं देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने पेट्रोल के दामों में प्रति लीटर २.९६ रुपये की बढ़ोतरी की है। इसी तरह हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने भी पेट्रोल महंगा कर दिया है। निजी क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों में एस्सार ऑयल और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी पेट्रोल के खुदरा दामों में वृद्घि की है। चालू साल (कैलेंडर वर्ष) में पेट्रोल के दामों में दूसरी सबसे बड़ी वृद्घि है। इस बढ़ोतरी के बाद भी तेल कंपनियों को पेट्रोल की बिक्री पर १.२० रुपये प्रति लीटर का घाटा होना बताया जा रहा है। लेकिन सरकार और सरकारी नौकरशाहों ने कभी भी अपनी तनखवाहों को कम करने और इन कम्पनीयों में घाटे के नाम पर हो रही गड़बड़ीयों पर कोई कार्यवाही नहीं की है। ज्ञातव्य रहे कि वर्तमान में किसी भी पैट्रोल कम्पनी को कोई घाटा नहीं है। अगर भरोसा नहीं है तो इनके बहीखातों की जांच करलें सारी सच्चाई सामने आ जायेगी। इन कम्पनीयों में हो रही घालामेली तो वेसे ही जगजाहिर हैं। लेकिन यह तो दावे से कहा ही जा सकता है कि इन कम्पनीयों को किसी भी प्रकार का कोई घटा नहीं है। यह सब नोटंकी सरकार और उसके नेताओं कि मिलीभगत से हो रही है। इन उत्पादों पर लगने वाला टैक्स भी तो जनता से ही वसूला जा रहा है। हम तो जनता से उम्मीद करेंगे कि वह भी अच्छी तरह से जाने कि वास्तव में घाटा क्यों हो रहा है? हो भी रहा है कि नहीं? जहां तक हमारी समझ है ये आंकडों का ही खेल है?