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आज का सवाल
कानून यहां का, लोग यहां के, बाकी विदेशी ?

आज का बाजार हमें यह याद दिलाता है कि, इस देश के शेयर बाजार विदेशियों और बडे आपरेटों के हाथों में है, हमारे देश की तो कोई अर्थव्यवस्था लगता है ही नहीं, है तो भी वह भी विदेशियों के हाथ में है। उनके अनुसार ही चलती है इस देश की अर्थव्यवस्था, तभी तो यह हाल हैं। सोचिये नहीं, वह दिन भी अब दूर नहीं है जो दिन अफगानिस्तान और ईराक की जनता ने देखे थे, जल्द ही इस देश के लोगों को भी देखने को मिलेगें ! शुरूआत तो हो चुकि है समझने कि बात है इन बम धमाकों को, जो हिंसा फैलाने के लिये किये गये थे। ऐसे ही तो शुरू में उपरोक्त देशों में हुआ था ! आखिर यह भी तो विदेशियों का ही काम है। देशियों के लिये तो कोई काम है ही नहीं। बेरोजगारी, मंहगाई, हिंसा, आतंकवाद न जाने और क्या-क्या ?
सैंकडों कानून हैं लेकिन पालना कैसे हो, आखिर कानूनों की जानकारी ही नहीं है इस देश के लोगों और प्रशासनिक अधिकारियों को ? सभी कानूनों को एक कर दिया जाये तो नये कानून की आवश्यकता ही नहीं है ! न ही आतंक के लिये और ना ही अपराध के लिये, इस देश के पूराने कानून ही नये कानूनों से कडे हैं ! आवश्यकता है उन्हें पढने समझने की ! सेबी के अध्यक्ष के जवाब की तरह नहीं, इन्होंन कहा था कुछ दिन पहले कि शेयर मार्केट के उतार-चढाव को सेबी नहीं देखती, क्यों क्या सेबी इस देश के कानून के तहत नहीं है, या कानून यहां का बाकी विदेशी..........? आखिर सवाल भी तो आम जनता का ही तो है, वह भी इस ही देश की......! समझे ना !